1 . 'बिखरती जुल्फों को संवार दो तुमनिगाहों से थोड़ा सा प्यार दो तुम
उमड़ती -घुमड़ती घटा हूँ मैं
अपने सीने में उतार लो तुम '.
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2 . 'पानी के बुलबुले सी जिन्दगी /
जाने क्यों वजनी लगने लगी है
जिन्दगी तू बहुत ही अजनबी
लगने लगी है '
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3 . 'बेवफ़ा कोई गैर नहीं अपनी ही निगाहें
फिसल जाएँ यहाँ -वहाँ क्यूँ गैर को चाहे हैं ?'
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4 . 'प्राणों की सीमा जानू ना
फिर भी
दूर बसे मेरे प्राण
क्यूँ मानू ना ?'
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