वक़्त का दरिया बहता चले ,
कुछ तुमसे ,कुछ हमसे,
कहता चले ,
ख़ामोशी की जबां इसकी
,
अदा भी निराली सी,
कभी रक्तिम सी होली है
,
कभी रात दिवाली सी ,
वक्त जाने सब ,
वक्त समझे सब ,
कभी हँसता ,कभी रोता,
इंसानों की नादानी पर ,
कुदरत की रवानी पर ,
खुदगर्ज जवानी पर ,
जीवन के बहते पानी पर
हर बात जानी है ,
हर नब्ज पहचानी है ,
वक्त का दरिया बहता चले ,
कुछ तुमसे ,कुछ हमसे कहता चले।
कुछ तुमसे ,कुछ हमसे,
कहता चले ,
ख़ामोशी की जबां इसकी
,
अदा भी निराली सी,
कभी रक्तिम सी होली है
,
कभी रात दिवाली सी ,
वक्त जाने सब ,
वक्त समझे सब ,
कभी हँसता ,कभी रोता,
इंसानों की नादानी पर ,
कुदरत की रवानी पर ,
खुदगर्ज जवानी पर ,
जीवन के बहते पानी पर
हर बात जानी है ,
हर नब्ज पहचानी है ,
वक्त का दरिया बहता चले ,
कुछ तुमसे ,कुछ हमसे कहता चले।
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