Monday, April 2, 2018

khat

ख़त वो सभी मैंने जला तो दिये ,

   पर ये कहो ,

कैसे भुलाएँ तुम्हें ,

      मोतियों की लड़ियों से ,

  पिरोये जो ऑंसू ,  

अनमोल तोहफ़े जो तुमने दिये ,

कहो कैसे ,कहो कैसे ,

भुलाएँ तुम्हें ,

     दर्द है दिल में ,आहों से निज़ात कैसे मिले ,

'तुम हो मेरे 'ये एहसास कैसे मिले ?

  जीने  की सजा जो मैंने है पाई,

निभाएँ कैसे ?

ख़त वो सभी ...... 

No comments:

Post a Comment