सागर ने देखा एक सपना,
विशाल जि गर वाले सागर ने,
दिन-रात जागती अपनी आँखों से,
देखा एक सपना..
स्वप्न सलोना था
मासूम बच्चे के हाथों में,
जैसे कोई प्यारा सा खिलौना था,
वैसे ही भावुक हो सागर ने देखा
कि उसकी छाती पर निरंतर
लहरें है उठती गिरती
ज्वार और भाटे में
जिन्दगि याँ है बनती-बिगड़ती
उनके लिए हाँ उनके लिए ही सागर ने देखा एक सपना
अमन हो चमन में उसकी
कोई चीत्कार न उठे,
सागर के संसार में,
कोई सिसकार न उठे
सूरज उगे कि नवजीवन लाए
चाँद निकले तो सौंदर्य का सुधा पान कराये
ऐसे ही हो खुशि यों संग आंख-मिचोली
जिंदगी से जिंदगी की हो मुलाक़ात हौली हौली
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