क्या यहीं जि न्दंगी है?
क्या खोते रहते का दूसरा नाम
जि ंदगी है?
एक आँख में हँसी
तो दूसरी में नमी
का नाम जि ंदगी है?
आईए और दाँव लगाते जाईए
शायद इसी जुए का नाम जि ंदगी है!
कहीं ठहरे हुए जल में
कमल दल में
ओस की बूँद को तो
जि ंदगी कहते नहीं?
गमों की घूंट पीते जाईए
नश्तर चूभें भी तो
पीर बीच खुद को डूबोते जाईए,
मुस्कुराईए, मुस्कुराईए
क्योंकि दर्द के बीच मुस्कुराना ही तो
जि ंदगी है।
Vah! Bohot acchi Kavita hai
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