Thursday, April 5, 2018

Daastaan fuloon ki

पीतवर्णी पुष्प बिछे हैं 
 कदमबोशी के लिये ,
 हौले से संभल कर रखना पाँव ,

भूल तुम ये करना नहीं

,कभी उन्हें कुचलना नहीं ,
कैसा अदभुत अंदाज है,कैसा मोहक प्यार है ,
प्रिय ;तुम्हारे पाँव चूमने को,
,वे जीवन खोते हैं;

एक कोमलता का जाकर ,

दूसरे में विलय  हो ,
फूल शायद इसलिए बिछ जाते हैं ,

तुम क्या जानो 

तुम क्या समझो
ये मासूम खूबसूरती,
आख़िर कुर्बान क्यों ........ 

ज्ञात नहीं क्या तुम्हें ? 

अधरों से तुम्हारे इन्होंने
 चुराई कोमलता 
तुम्हारी वही सौगात ,
लौटाने ये आये हैं ,
स्वीकारो प्रिय;
न अनादर करो ,

आखिरी साँसे लेते ,
मुरझाते हुए, ये दें दम तोड़ ,
इससे पहले ,आओ प्रिय। 
अभिसार करो

श्रृंगार करके प्रकृति आई है ,
आओ प्यार करो। 





Monday, April 2, 2018

khat

ख़त वो सभी मैंने जला तो दिये ,

   पर ये कहो ,

कैसे भुलाएँ तुम्हें ,

      मोतियों की लड़ियों से ,

  पिरोये जो ऑंसू ,  

अनमोल तोहफ़े जो तुमने दिये ,

कहो कैसे ,कहो कैसे ,

भुलाएँ तुम्हें ,

     दर्द है दिल में ,आहों से निज़ात कैसे मिले ,

'तुम हो मेरे 'ये एहसास कैसे मिले ?

  जीने  की सजा जो मैंने है पाई,

निभाएँ कैसे ?

ख़त वो सभी ......